MAAHI

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आज की नारी

*आज की नारी*



मैं राम की बेबस सीता नहीं,

मैं आज के युग की नारी हूँ।

इस युग में मेरी परीक्षा ना लेना,

मैं दहकती हुई चिंगारी हूँ।।


द्रोपती समझने की भूल ना करना,

अब मुझसे कोई बैर ना रखना।

अस्तित्व तेरा मिटा दूँगी मैं,

बुरी नजर मुझ पर ना रखना 


आज कोई धर्म युद्ध ना होगा।
कृष्ण, कान्हा का जाप ना होगा,

मौन रहकर अब सह ना सकूँगी।

अब तेरा सर्वनाश ही होगा। 


कृष्ण की मैं राधा नहीं,

प्रेम में धोखा बर्दाश्त ना करूँगी।

बहुत दिखाई अपनी महानता,

अब कोई अत्याचार ना सहूँगी।।


रक्त से भरा है दामन मेरा,

तेरे हर सवाल का जवाब हूँ।

तू अपनी औकात ना भूलना

तेरे वजूद का मैं हिसाब हूँ।


मैं तेरे बाहों का गुलदस्ता नहीं,

मैं तलवार की धार हूँ।

मुझे बांधने की कोशिश ना करना,

मैं चलती-फिरती कटार हूँ।।



सरिता लहरे 'माही' 

पत्थलगांव जशपुर (छ. ग.)

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8 Comments

sunanda

01-Feb-2023 03:33 PM

very nice

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Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:56 PM

Nice

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Varsha_Upadhyay

07-Jan-2023 06:30 PM

V nice 👌

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